Five Types of Energy | पांच प्रकार की ऊर्जा सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस, ज्वारीय ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा

ऊर्जा के बढ़ते उपभोग ने भारत को कोयला, तेल और गैस जैसे जीवाश्म इंधनों पर अत्यधिक निर्भर कर दिया है। गैस व तेल की बढ़ती कीमतों तथा इनकी संचान्य कमी ने भविष्य में ऊर्जा आपूर्ति के प्रति अनिश्चितताएँ उत्पन्न कर दी हैं। इसके राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। इसके अलावा जीवाश्मी ईंधनों का प्रयोग गंभीर पर्यावरणीय समस्यायें उत्पन्न करता है।

अतः नत्रीकरण योग्य ऊर्जा संसाधनों, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जनित ऊर्जा के उपयोग की बहुत जरूरत है। ये ऊर्जा के गैर-परंपरागत साधन कहलाते हैं। भारत धूप, जल तथा जीवभार साधनों में समृद्ध है। भारत में नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधनों के विकास हेतु वृहत् कार्यक्रम भी बनाए गए हैं।

Five Types of Energy

Five Types of Energy
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सौर ऊर्जा :- सूर्य की किरणों में पर्याप्त ऊर्जा होती है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा उपयोग विद्युत उत्पादन, पानी गर्म करने और घरों को गर्म करने के लिए या जाता है। अन्तरिक्ष केन्द्र और कृत्रिम उपग्रह भी सौर ऊर्जा द्वारा संचालित होते हैं। नेशनल लेबोरेटरी ने सोलर कुकर का आविष्कार किया जिसके उपयोग में पौष्टिक भोजन बनाया जा सकता है। अमेरिका ने ऐसी बैटरी बनायी है

जो सौर ऊर्जा से शक्ति ग्रहण करती है। भारत एक उष्ण कटिबंधीय देश है। यहाँ सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएँ हैं। फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को साँधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

कुछ बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र देश के विभिन्न भागों में स्थापित किए जा रहे हैं। ऐसी अपेक्षा है कि सौर ऊर्जा के प्रयोग से आमीण घरों में उपलों तथा लकड़ी पर निर्भरता को न्यूनतम किया जा सकेगा। फलस्वरूप यह पर्यावरण संरक्षण में योगदान देगा और कृषि में भी खाद्य की पर्याप्त आपूर्ति होगी। Five Types of Energy

पवन ऊर्जा :- पवन भी ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। प्राचीन काल में नौका चलाने में पवन ऊर्जा की मदद ली जाती थी। पवन की गति और दिशा के अनुसार ही पालदार नौकाओं का संचालन होता है। पवन चक्कियों के लिए पवन ऊर्जा मुख्य है। पवन के वेग और दिशा में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। इसलिए इससे बिजली की सतत आपूर्ति नहीं हो सकती। Five Types of Energy

भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन की महान संभावनाएँ हैं। भारत में पवन ऊर्जा फार्म के विशालतम पेटी -मिलनाडु में नागरकोइल से मदुरई तक अवस्थित है। इसके अतिरिक्त आंध्र न्देश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र तथा लक्षद्वीप में भी महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा फार्म हैं। नागरकोइल और जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी प्रयोग के निए जाने जाते हैं। Five Types of Energy

बायोगैस :- ग्रामीण क्षेत्रों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्टों, पशुओं और मानव। अल अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपभोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। विक पदार्थों के अपघटन से गैस उत्पन्न होती है, जिसकी तापीय सक्षमता मिट्टी के तेल, उपलों व चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है। बायोगैस संद नगरपालिका, सहकारिता तथा निजी स्तर पर लगाए जाते हैं। Five Types of Energy

पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र ग्रामीण भारत में ‘गोबर गैस प्लाट’ के नाम से जाने जाते हैं। ये किसानों को दो प्रकार से लाभान्वित करते हैं-एक ऊर्जा के रूप में और – दूसरा उन्नत प्रकार के उर्वरक के रूप में। बायोगैस अब तक पशुओं के गोबर का प्रयोग करने में सबसे दक्ष है। यह उर्वरक की गुणवत्ता को बढ़ाता है और उपलों तथा लकड़ी को जलाने से होने वाले वृक्षों के नुकसान को रोकता है। Five Types of Energy

ज्वारीय ऊर्जा :- समुद्र का जल दिन में दो बार ऊपर उठता और नीचे गिरता है। जल के ऊपर उठने की क्रिया को ‘ज्वार’ और नीचे गिरने की क्रिया को ‘भाटा’ कहते हैं। ज्वार में इतनी शक्ति होती है जिसे ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। ज्वार और भाटे के प्राकृतिक रूप से उठने की क्रिया से विद्युत उत्पादन आसानी से होता है। ग्रेट ब्रिटेन तट पर समुद्री टरबाइन जनरेटर लगे हैं जो ज्वारीय शक्ति से विद्युत बनाते हैं। महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है। Five Types of Energy

सँकरी खाड़ी के आर-पार बाढ़ द्वार बनाकर बाँध बनाए जाते हैं। उच्च ज्वार में इस सँकरी खाड़ीनुमा प्रवेश द्वार से पानी भीतर भर जाता है और द्वार बन्द होने पर बाँध में ही रह जाता है। बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर, बाँध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरफ बहाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है। Five Types of Energy

भारत में खम्भात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी तथा पश्चिमी तट पर गुजरात में और पश्चिम बंगाल में सुंदरवन क्षेत्र में गंगा के डेल्टा में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएँ उपस्थित हैं।

भूतापीय ऊर्जा :- ऐसी शक्ति जिसकी उत्पत्ति पृथ्वी के अन्दर की ऊष्मा से की जाती है, भूतापीय ऊर्जा कहलाती है। इसी ऊर्जा के कारण ज्वालामुखी प्रदेशों में गर्म स्रोत और गर्म पानी के फौव्वारे मिलते हैं। गर्म भाप के समय निकले इसके उद्भेदों का उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है। पृथ्वी के अन्दर इकट्ठे हुए जलवाष्प में भी बहुत शक्ति होती है। अतः हमें इन शक्तियों को नियंत्रित करके इनका इस्तेमाल ऊर्जा के रूप में करना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली न्यूजीलैण्ड आदि देश में भूतापीय ऊर्जा पर आधारित विद्युत गृह बनाये गये हैं। Five Types of Energy

पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं। भू-तापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती है। जहाँ भी भू-तापीय प्रवणता अधिक होती है वहाँ उथली गहराइयों पर भी अधिक तापमान पाया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में भूमिगत जल चट्टानों से ऊष्मा का अवशोषण कर तप्त हो जाता है। यह इतना तप्त हो जाता है कि यह पृथ्वी की सतह की ओर उठता है तो यह भाप में परिवर्तित हो जाता है। इसी भाप का उपयोग टरबाइन को चलाने और विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। Five Types of Energy

भारत में सैंकड़ों गर्म पानी के चश्मे हैं, जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजनाएँ शुरू की गई हैं। एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा दूसरी लद्दाख में पूगा घाटी में स्थित है।

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