Types and uses of coal
कोयला वनस्पति का अत्यन्त प्राचीन रूप है। 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ही कोयले का उपयोग वाष्प या स्टीम शक्ति के रूप में हुआ था। कोयला औद्योगिक क्रान्ति का जनक माना जाता है। आज भी विश्व की लगभग 28% ऊर्जा कोयले से ही प्राप्त की जाती है। कोयले की उपयोगिता के कारण ही इसे ‘काला सोना’ कहते हैं।
कोयले के प्रकार (Types and uses of coal) :- कोयला कई प्रकार का होता है। कार्बन का अंश जितना अधिक होता है कोयला उतना ही अधिक गरमी उत्पन्न कर सकता है। कार्बन के आधार कोयले को चार भागों में बाँटा जाता है-
- एन्थ्रेसाइट-यह कोयला कठोर और सर्वोत्तम होता है। यह बहुत काला, बड़ा चमकीला एवं रवेदार होता है। इसमें कार्बन का अंश 95% होता है।
- बिटुमिनस-यह शुद्ध कोयला होता है। यह कोयले काले या गहरे हैं। रंग का होता है। लोहे से इस्पात बनाने में यही कोयला काम आता है। इससे कार्बन की मात्रा 70% से अधिक होती है।
- लिग्नाइट-इसे पूरे कोयले के नाम से जाना जाता है। यह जलते समय अधिक धुओं देता है तथा राख भी छोड़ता है। इसमें कार्बन 60% तक होता है।
- पीट कोयला-यह कच्चा कोयला होता है। यह लकड़ी की भर जलता है। इसका उपयोग घरों में ईंधन के रूप में होता है। इसमें कार्बन की माह 35% तक होती है।
कोयले का उपयोग
कोयले का प्रयोग हम निम्न कार्यों के अन्तर्गत करते हैं-
- कोयले का प्रयोग ईंधन के रूप में होता है।
- उद्योगों में शक्ति के साधन के रूप में कोयले का उपयोग होता है।
- कोयले का प्रयोग कच्चे माल के रूप में होता है।
- कोयला भाप की शक्ति के रूप में प्रयोग होता है।
कोयला भारत में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रदान करता है। इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलू जरूरतों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है। भारत अपनी वाणिज्यिक ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मुख्यन कोयले पर निर्भर है। कोयले का निर्माण पादप पदार्थों के लाखों वर्षों एक सपीडन से हुआ है। इसीलिए सपीडन की मात्रा, गहराई और दवने के समय के आधार पर कोयला अनेक रूपों में पाया जाता है। Types and uses of coal
दलदलों में क्षय होते पादपों ये पीट उत्पन्न होता है, जिसमें कम कार्बन, नमी की उच्च मात्रा व निम्न ताप क्षमता होती है। लिग्नाइट एक निम्न कोटि का पूरा कोयला होता है। यह मुलायम होने के साथ अधिक नमीयुक्त होता है। लिग्नाइट के प्रमुख भंडार तमिलनाडु के नैवेली में मिलते हैं और विद्युत उत्पादन में प्रयोग किए जाते हैं। Types and uses of coal
गहराई में दबे नया अधिक तापमान से प्रभावित कोयले को बिटुमिनस कोयला कहा जाता है। वाणिज्यिक प्रयोग में यह सर्वाधिक लोकप्रिय है। धातुशोधन में उच्च श्रेणी के बिटुमिनस कोयले का प्रयोग किया जाता है जिसका लोहे के प्रगलन में विशेष महत्त्व है। एंथ्रेसाइट सर्वोत्तम गुण वाला कठोर कोयला है।
भारत में, कोयला दो प्रमुख भूवैज्ञानिक युगों के चट्टान अनुक्रमों में पाया जाता है – एक गोंडवाना में, जो 200 लाख वर्ष से थोड़ा अधिक पुराना है और दूसरा तृतीयक निक्षेपों में, जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराना है। गोंडवाना कोयले, जो धातुशोधन कोयला है, के प्रमुख संसाधन दामोदर घाटी (पश्चिमी बंगाल तथा झारखंड), झरिया, रानीगंज, बोकारो में स्थित हैं जो महत्त्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं। गोदावरी, महानदी, सोन व वर्धा नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाए जाते हैं। Types and uses of coal
टरशियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों-मेघालय, असम, अरुणाचल स्देश व नगालैंड में पाया जाता है। उल्लेखनीय है कि कोयला एक स्थूल पदार्थ है, जिसका प्रयोग करने पर उसका भार घटता है, क्योंकि यह राख में परिवर्तित हो जाना है। इसीलिए भारी उद्योग तथा ताप विद्युत गृह कोयला क्षेत्रों अथवा उनके निकट ही स्थापित किए जा रहे हैं। Types and uses of coal
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