भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
इसके अन्तर्गत हम निम्न परियोजनाओं का वर्णन करेंगे-
(1) दामोदर घाटी परियोजना,
(2) भाखड़ा नांगल परियोजना,
(3) हीराकुड परियोजना,
(4) रिहन्द बांध परियोजना,
(5) तुंगभद्रा परियोजना,
(6) नागार्जुन सागर परियोजना,
(7) इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना
8) टिहरी बाँध परियोजना।
- दामोटर घाटी परियोजना :- दामोदर घाटी परियोजना का निर्माण दामोदर नदी पर अमरिका के टैनेसी घाटी परियोजना के अनुसार हुआ है। दामोदर नदी छोटानागपुर के पठार की पहाड़ियों से निकलकर झारखण्ड में तथा पश्चिमी बंगाल में प्रवाहित होने के बाद हुगली नदी में मिल जाती है। दामोदर नदी में आने वाली भयंकर बाढ़ के कारण इसे ‘बंगाल का शोक’ कहते हैं। बाढ़ के कारण अपार धन-जन की हानि होती है। 18,000 वर्ग किमी पर इसका प्रभाव पड़ता है। इसलिए सन् 1948 में दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गयी। इस परियोजना के निर्माण पर 110 करोड़ रुपये की लागत आयी। यह परियोजना विश्व में दूसरे नम्बर की है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
इस परियोजना के अन्तर्गत उसकी सहायक नदियों कोनार, मैथान, तिलैया, पंचेतहिल, बाल पहाड़ी, बोकारो, बर्मो और दुर्गापुर स्थान पर 8 बाँध बनाये गये हैं। बोकारो, दुर्गापुर और चन्द्रपुरा में 3 तापीय विद्युत गृह बनाये गये हैं। इन बांधों से 2500 किमी लम्बी दो नहरें निकाली गयी हैं जिनसे 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है। इस परियोजनाओं द्वारा 1.187 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। यह परियोजना छोटानागपुर पठार के उजाड़ और बीरान क्षेत्र के लिए वरदान सिद्ध हुई है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- माखड़ा नांगल परियोजना :- इस परियोजना का निर्माण पंजाब राज्य के रोपड़ जिले में हुआ है। इसके अन्तर्गत सतलज नदी पर भाखड़ा नामक स्थान पर बाँध बनाया गया है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। भाखड़ा बाँध विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा बाँध है। इसकी ऊंचाई 226 मीटर, नदी तल पर लम्बाई 338 मीटर, ऊपर की चोटी 518 मीटर है। इस बाँध के पीछे गोविन्द वल्लभ सागर नामक विशाल जलाशय (हिमाचल प्रदेश) है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
भाखड़ा से 13 किमी नीचे नांगल स्थान पर नांगल बाँध बनाया गया है जो 29 मीटर ऊँचा है. 315 मीटर लम्बा है। इसकी सहायता से नदी के जल स्तर को 15 मीटर ऊंचा उठाया गया है। इस बाँध पर 28 निकास द्वार हैं। भाखड़ा बांध से 5 नहरें निकाली गयी हैं-(1) भाखड़ा की मुख्य नहर, (2) सरहिन्द नहर, (3) विस्त दोआब नहर, (4) नरवाना शाखा नहर तथा (5) नांगल जल विद्युत नहर।
इस परियोजना द्वारा 3 विद्युत-गृह बनाये गये हैं. दो गंगूवाल और कोटला में, तीसरा रोपड़ में। इन विद्युत-गृहों से 1.200 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली के शहरों एवं गाँवों को इस परियोजना से बिजली प्राप्त होती है। भाखड़ा बांध से 1,100 किमी लम्बी नहर निकाली गयी है। इससे 27 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है। इसका सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान को हुआ। इसी नहर के कारण पंजाब व हरियाणा राज्य में चावल, गेहूं, गन्ना व तिलहन की खेती में वृद्धि हुई है। इस परियोजना से राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के उद्योगों को विद्युत प्राप्त होती है। यह परियोजना भारत के बहुमुखी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- हीराकुड परियोजना :– यह ओडिशा राज्य की महत्त्वपूर्ण नदी-घाटी परियोजना है। यह महानदी से 14 किमी ऊपर हीराकुड नामक स्थान पर बनायी गयी है। इसका मुख्य उद्देश्य महानदी में प्रतिवर्ष आने वाली भयकर बाढ़ को रोकना है। इसके अन्तर्गत हीराकुड, टिकरपारा और नाराज नामक स्थानों पर तीन बाँध बनाये गये हैं। यह विश्व का सबसे लम्बा बांध है। यह 61 मीटर ऊंचा और 4.801 मीटर लम्बा है। इसके अन्तर्गत तीन नहरे-बरगढ़, सेसब और सम्बलपुर में निकाली गयी हैं और तीन विद्युत-गृह बनाये गये हैं। इसके द्वारा 3 लाख 55 हजार किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
हीराकुड बाँध बन जाने से महानदी में आने वाली बाढ़ पर काफी नियन्त्रण पा लिया गया है जिससे मिट्टी का अपरदन भी कम हो गया है। इनके कारण कमाण्ड क्षेत्र में पड़ने वाला अकाल खत्म हो गया है। इससे उत्पन्न जलविद्युत का उपयोग उद्योग-धन्धों में किया जा रहा है। इस परियोजना से राउरकेला का लोहा इस्पात, हीराकुड का ऐलुमिनियम कारखाना, राजभंगपुर का सीमेण्ट उद्योग, बृजराज नगर का कागज व सूती वस्व उद्योग विकसित हो गया है। इस परियोजना से ओडिशा के महानदी डेल्टा का बहुमुखी विकास हुआ है, इसलिए इसे ओडिशा का ‘नया तीर्थ’ कहकर पुकारते हैं। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- रिहन्ड बाँध परियोजना :- उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी परियोजना है। यह परियोजना 1954 में आई और 1962 में इसने कार्य आरंभ किया। सोनभद्र जिले में वरी नामक स्थान पर सोन की सहायक नदी रिहन्द पर रिहन्द बाँध बनाया यह 934.21 पीटर लम्बा और 91.44 मीटर ऊँचा है। रिहन्द बाँध के पने जलाशय का क्षेत्रफल 166 वर्ग किसी और समता 10.608 लाख अनमीटर की है। इसकी सफाई के लिए 4 सुरंग बनायी गयी हैं तथा बाढ़ का जल चलने के लिए 13 फाटक लगाये गये हैं। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
इस परियोजना के अन्तर्गत ओबरा नामक स्थान पर ही 300 मेगावाट 50 मेगावाट क्षमता की 6 इकाइयाँ) क्षमता का जलविद्युत शक्तिगृह बनाया गया है। उत्तर प्रदेश के उद्योग के विकास के लिए इन क्षेत्रों को सम्ती जलविद्युत प्राप्त कसे जाली है। मुगलसराय व पटना के मध्य रेलगाड़ी चलाने में भी इस जलविद्युत राति का प्रयोग होता है। सोन नदी के प्रवाह की कम करके मिट्टी के कटाव को रोका गया है। रिहन्द परियोजना से उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार का बहमुखी विकास हुआ है। रिहन्द बाँध के पीछे ‘गोविन्द वल्लभ सागर’ नामक एक कृत्रिम लील बनाई गई है जो भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- तुंगभद्रा परियोजना :- यह कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश राज्य सरकारों की सम्मिलित परियोजना है। कृष्णा की सहायक तुंगभद्रा नदी पर कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में मल्लापुरम नामक स्थान के निकट 1956 ई. में 2441 मीटर लम्बा और 50 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर पम्पासागर जलाशय बनाया गया है। इस जलाशय से 3 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है। ये नहरें कर्नाटक के बेल्लारी व रायचूर तथा आन्ध्र प्रदेश के कर्नूल, कडप्पा तथा अनन्तपुर जिलों में सिंचाई की सुविधा प्रदान कर रही है।
तुंगभद्रा परियोजना से मुनीराबाद, हम्पी तथा हास्पेट में तीन विद्युत-गृह बनाये गये हैं जिनसे 108 मेगावाट विद्युत पैदा की जाती है। इस विद्युत का प्रयोग सिंचाई तथा उद्योग-धन्धों में होता है। इससे खाद्यान एवं व्यापारिक फसलों का उत्पादन बढ़ा है। इस परियोजना के कारण कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश का आर्थिक विकास हुआ है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- नागार्जुन सागर परियोजना :- दक्षिणी भारत की यह सबसे मुख्य परियोजना है। यह तेलंगाना के आलोडा और आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले की सीमा पर बनाया गया है। बौद्ध वेडान जागार्जुन के नाम पर इस सागर का नाम नागार्जुन सागर रखा गया है। यह बाँध 1.450 मीटर लम्बा है। इसके दोनों तटों पर 3,414 मीटर लम्बे सरवन्ध बनाये गये हैं और दोनों तरफ से 383 किमी लम्बी नहरें निकाली गयी है। इस बाँध के पीछे एक झील बनायी गयी है। इसके पहले वहाँ पर वास्तुकला सुन्दर मन्दिर था जिसे सुरक्षित स्थान पर हटा दिया गया। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
नागार्जुन बांध से निकलने वाली नहरों से 8.7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा है। इस परियोजना द्वारा उत्पन्न जलविद्युत से आन्ध्र प्रदेश के औद्योगिक केन्द्रों के विकास में सहायता मिली है। वन क्षेत्र का विस्तार किया गया है और मत्स्य पालन उद्योग को बढ़ाया गया है। तेलंगाना व आन्ध्र प्रदेश का आधुनिक स्तरीय विकास इसी नदी घाटी परियोजना से हुआ है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- इंदिरा गाँधी नहर परियोजना :- यह परियोजना 2 नवम्बर, 1984 तक राजस्थान नहर परियोजना के नाम से जानी जाती थी। 31 अक्टूबर, को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की मृत्यु के पश्चात् उनकी याद में इस परियोजना का नाम इंदिरा गाँधी नहर परियोजना कर दिया गया। इंदिरा गाँधी नहर का निर्माण धरातलीय विविधता और जलवायु की अतिशयता वाले रेगिस्तानी क्षेत्र में हिमालय का जल लाने का एक साहसिक पानवीय प्रयास है। एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित इस नहर परियोजना जिसे ‘यह गंगा’ और पहस्थल की जीवन रेखा के रूप में जाना जाता है, ने इस रेगिस्तानी क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि के द्वार खोले हैं। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
परियोजना का सूत्रपात – 31 मार्च, 1958 को तत्कालीन केन्द्रीय गृहमन्त्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत ने इस महान परियोजना की आधारशिला रखी। इसको बनाने का कार्य 1958 में प्रारम्भ हुआ। इंदिरा गाँधी नहर का उदतम पंजाब में फिरोजपुर के निकट मतलब-व्याय नदियों के संगम पर स्थित हरिक बैराज से है। मुख्य नहर की लम्बाई 649 किमी अथवा 1,458,200 आर. दी. है। नहर के प्रारम्भिक भाग 204 किमी (इसे फीडर नहर कहते हैं) की प्रथम 169 किमी लम्बाई पंजाब में, 14 किमी हरियाणा में एवं शेष 21 कि命 राजस्थान में है। राजस्थान में यह नहर हनुमानगढ़ जिले की टीवी तहसील में खरा गाँव के निकट प्रवेश करती है। निकास स्थल पर मुख्य नहर के तल की चौड़ाई 40 मीटर है। इसमें बहने वाले पानी की गहराई 6.4 मीटर तथा इसकी जल प्रवाह क्षमता 523 घन मीटर प्रति सेकण्ड (18,500 क्यूसैक्स) है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
पूर्ण विकसित होने पर परियोजना द्वारा हनुमानगढ़, बीकानेर, गुरू, जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों की लगभग 18.72 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। सिंचाई के लिए बनने वाली खेतों की नालियों की लम्बाई 64 हजार किमी होगी। इससे प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख टन खाद्यान्न एवं चारा तया 2 लाख टन कपास, अन्य फसलें दालें, तिलहन, फल, सब्जियों, बरसीम, आदि का भी उत्पादन होने लगेगा। लगभग 30 लाख व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। Major multipurpose river valley projects of India
इस परियोजना के द्वारा 2010-15 तक 523 किमी लम्बे तया 48 किमी चौड़े लगभग 28,000 वर्ग किमी में विस्तृत वनस्पतिविहीन बंजर तथा पिछड़े क्षेत्र का स्वरूप ही बदल गया। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
- टिहरी बाँध परियोजना :- टिहरी बाँध विश्व का पाँचवाँ तथा एशिया का सबसे बड़ा बाँध है। टिहरी उत्तराखण्ड का लगभग 186 वर्ष पुराना शहर है। इस शहर के समीप टिहरी बांध बनाया गया है। टिहरी बाँध का निर्माण भागीरथी व भिलंगना नदियों के संगम स्थल से नीचे हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य उक्त दोनों नदियों में आने वाली बाढ़ के जल को संचय करके सिंचाई कायर्यों व विद्युत उत्पादन में उपयोग करना है। सन् 1972 में योजना आयोग ने टिहरी बाँध परियोजना को स्वीकृति दी थी। 1978 में सिंचाई विभाग द्वारा बाँध का निर्माण कार्य शुरू किया गया। बाँध निर्माण की धीमी गति को देखते हुए वर्ष 1989 में टिहरी जल बाँध निगम बनाकर इस निगम को निर्माण कार्य सौंपा गया। बाँध का निर्माण कार्य पूरा होने पर 2,400 मेगावाट विद्युत उत्पादन तथा 27 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने की सम्भावना है। बाँध के जल से दिल्ली तथा उ.प्र के लगभग 70 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। टिहरी बाँध की लागत ₹ 6,500 करोड़ है। बाँध की ऊँचाई 261 मीटर है, जिसमें 45 वर्ग किमी जल भराव होगा। टिहरी बाँध बनने पर लगभग एक लाख आबादी प्रभावित हुई है, पुनर्वास, पर लगभग ₹ 582 करोड़ व्यय किया गया है। भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ
30 जुलाई, 2006 को केन्द्र सरकार द्वारा 2400 मेगावाट की टिहरी बांध परियोजना के 1000 मेगावाट के पहले चरण का लोकार्पण किया गया। Major multipurpose river valley projects of India
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