संथाल आंदोलन क्या है: जनजातियों के आंदोलनों में संथाल आंदोलन का प्रमुख स्थान है| बिहार मैं इस जनजाति की अधिक जनसंख्या है| इसके निवास स्थान कटक, धल धूम ,मानभूम , छोटा नागपुर, पलामू, हजारीबाग, भागलपुर, पूर्णिमा, मुर्शिदाबाद आदि रहे हैं|इसकी जनसंख्या का एक भाग पश्चिम बंगाल में भी पाया जाता है|संस्थान मेहनती होते हैं यह घने जंगलों को काट कर खेती योग्य जमीन बनाते हैं
एक बड़े भूभाग पर इनका अधिकार था वह खेतों के मालिक थे खेत ही उनके जीवन का मुख्य आधार था किंतु “अंग्रेजी शासकों को यह फूटी आंख सुहाता नहीं था|” अंग्रेज शासक उनको अपनी जमीन से बेदखल कर दिया भूमि जमीदारों की व्यक्तिगत संपत्ति बन गई लेकिन वास्तविक भूमि की मालिक ब्रिटिश सरकार बन गई और खेती करने वाले के साथ जमींदार विचौलिए बन गए|इस तरह संस्थान किसको पर अत्याचार शोषण पिएगा चौतरफा होने लगा|
इस अत्याचार और शोषण के विरुद्ध संस्थानों के अंदर ही अंदर आंदोलनों की चिंगारी से लगने लगी और 1 दिन या भारत रूप में फूटी|
E. G. मान में संथाल आंदोलन की विवेचना करते हुए इसके 4 कारण बताएं-
1-महाजन वह पतियों द्वारा संथलो के साथ छल कपट|
2-कर्ज़ बढ़नी से बुधवा मजदूरी में वृद्धि|
3-ब्रिटिश पुलिस का महा जनों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग|
4-कोर्ट कचहरी के द्वारा समस्याओं के निदान में संथलो की असमर्थता|
जो सैफ त्रेइसी लिखते अंग्रेज अधिकारियों द्वारा संथाल महिलाओं का दैहिक शोषण और भूपति यू द्वारा श्रम शोषण से त्रस्त होकर संथालो ने पुलिस और न्यायालय से न्याय न मिलने पर मनमोरागो -राजा ह नामक संथाल के मुखिया ने अलग संस्थान राज्य की मांग की योजना बनाई|सिंधु और कन्हू नामक दो नवयुवक ने घोषणा की कि संथालो के देवता “सब ठाकुर” ने उन्हें आलौकिक आदेश दिया है कि वह क्षेत्रीय राज्य व्यवस्था को हटाकर संस्थानों का राज्य कायम करें इस घोषणा से आंदोलन में तेजी आई और महा जनों के घर चोरी डकैती होने लगी जिससे प्रशासन ने सख्ती पूर्ण रवैया अपनाया इसके विरोध में 30 मई 855 को 30 से 35000 संस्थानों की विशाल समूह ने डांस बार के साथ कोलकाता की और पढ़ना प्रारंभ किया संथलो के इस आतंक को रोकने के लिए ब्रिटिश पुलिस कार्यवाही करने पर आंदोलनकारी संस्थान भड़क उठे इस मुठभेड़ में पुलिस टुकड़ियों के नव जवान और एक अधिकारी की मौत हो गई इसी तरह संस्थानों ने 2 वर्षों तक लगातार लुक छिप कर प्रदर्शन मुठभेड़ और वार करते हुए आर्थिक और आवासीय शोषण से मुक्ति के लिए आंदोलन किया संथलो का यह आंदोलन आर्थिक शोषण के एक्शन नहीं हुआ बल्कि बल्कि इसमें उनका अपनी भूमि के प्रति भावनात्मक लगाव भी दिखाई देता है वास्तव में भूमि के प्रति भावनात्मक लगाव के कारण ही संस्थानों ने 2 वर्षों तक सशक्त विरोध किया और विजय हासिल किया